शहीद दिवस
भारत में शहीद दिवस (सर्वोदय दिवस)
शहीद
दिवस भारत में
उन लोगों को
श्रद्धांजलि देने के लिये
मनाया जाता है
जो भारत की
आजादी, कल्याण और
प्रगति के लिये
लड़े और अपने
प्राणों की बलि दे
दी। इसे हर
वर्ष 30 जनवरी को
पूरे भारत वर्ष
में मनाया जाता
है। भारत विश्व
के उन 15 देशों
में शामिल हैं
जहाँ हर वर्ष
अपने स्वतंत्रता सेनानियों को
श्रद्धांजलि देने के लिये
शहीद दिवस मनाया
जाता है।
महात्मा गाँधी
जन्म से बनिया
थे लेकिन वो
खुद का धर्म
इंसानियत मानते थे। उनके
अनुसार, युद्ध एक
कुंद हथियार है
और अहिंसा आजादी
पाने के लिये
सबसे अच्छा हथियार
है वो उसका
अनुसरण करते थे।
शहीद दिवस 2017
2017 में शहीद
दिवस (सर्वोदय दिवस)
भारत में 30 जनवरी
सोमवार और 23 मार्च
गुरूवार को मनाया जायेगा।
शहीद दिवस क्यों 30 जनवरी को मनाया जाता है
शहीद
दिवस हर वर्ष
30 जनवरी
को उसी दिन
मनाया जाता है,
जब शाम की
प्रार्थना के दौरान सूर्यास्त के
पहले वर्ष 1948 में
महात्मा गाँधी पर हमला
किया गया था।
वो भारत के
महान स्वतंत्रता सेनानी
थे और लाखों
शहीदों के बीच
में महान देशभक्त के
रुप में गिने
जाते थे। भारत
की आजादी, विकास
और लोक कल्याण
के लिये वो
अपने पूरे जीवन
भर कड़ा संघर्ष
करते रहे। 30 जनवरी
को नाथूराम गोड़से
ने महात्मा गाँधी
को गोली मारकर
हत्या कर दी
गयी थी जिसके
कारण यह दिन
भारतीय सरकार द्वारा
शहीद दिवस के
रुप में घोषित
किया गया है।
तब से, महात्मा गाँधी
को श्रद्धंजलि देने
के लिये हर
वर्ष 30 जनवरी को
शहीद दिवस मनाया
जाता है।

जिसके
नेतृत्व में आजादी की
कठिन जीत मिली
हो ऐसे राष्ट्रपिता को
खो देना देश
के लिये सबसे
बड़ा दुर्भाग्य था।
उनका कत्ल प्रार्थना सभा
में शामिल होने
आयी बड़ी भीड़
के सामने हुआ
था। उनपर हमले
के बाद, बिरला
हाऊस में उनको
देखने के लिये
बहुत भीड़ जमा
हो गयी थी।
बापू एक महान
इंसान थे जिन्होंने अपना
पूरा जीवन लाखों
पुरुष और महिला
के साथ आजादी
की लड़ाई के
लिये बलिदान कर
दिया था और
बाद में शहीद
हुए।
इसलिये
भारत में शहीद
दिवस का अवसर
हर वर्ष पूरे
भारतीय शहीदों की
याद में मनाया
जाता है और
उन्हें श्रद्धांजलि दी
जाती है। भारत
की आजादी के
बाद, भारत के
लोगों में भाईचारा, शांति
और सौहार्द बनाने
के लिये बापू
ने एक मिशन
की शुरुआत की
थी लेकिन अपने
मिशन के दौरान
ही उनकी हत्या
कर दी गयी।
शहीद दिवस क्यों 23 मार्च को मनाया जाता है
भगत
सिंह, शिवराम राजगुरु और
सुखदेव थापर को
श्रद्धांजलि देने और इनके
बलिदानों को याद करने
के लिये भारत
में 23 मार्च को
भी शहीद दिवस
मनाया जाता है।
आजादी के लिये
ब्रिटिश शासन से भगत
सिंह, शिवराम राजगुरु और
सुखदेव थापर ने
लोहा लिया था।
सिक्ख
परिवार में पंजाब
के लायलपुर में
28 सितंबर
1907 को
जन्में भगत सिंह
भारतीय इतिहास के
महान स्वतंत्रता सेनानियों में
जाने जाते थे।
इनके पिता गदर
पार्टी के नाम
से प्रसिद्ध एक
संगठन के सदस्य
थे जो भारत
की आजादी के
लिये काम करती
थी। भगत सिंह
ने अपने साथियों राजगुरु, आजाद,
सुखदेव, और जय
गोपाल के साथ
मिलकर लाला लाजपत
राय पर लाठी
चार्ज के खिलाफ
लड़ाई की थी।
शहीद भगत सिंह
का साहसिक कार्य
आज के युवाओं
के लिये एक
प्रेरणास्रोत का कार्य कर
रहा है।
वर्ष
1929 में,
8 अप्रैल को अपने
साथियों के साथ केन्द्रीय विधायी
सभा में “इंकलाब
जिंदाबाद” के नारे लगाते
हुए बम फेंक
दिया था। उन
पर हत्या का
मुकदमा दर्ज हुआ
और 23 मार्च 1931 को
लाहौर के जेल
में शाम 7:33 बजे
फाँसी पर लटका
दिया गया था।
उनके शरीर का
दाह-संस्कार सतलुज
नदी के किनारे
हुआ था। वर्तमान में
हुसैनवाला (भारत-पाक सीमा)
में राष्ट्रीय शहीद
स्मारक पर, एक
बहुत बड़े शहीदी
मेले का आयोजन
उनके जन्म स्थान
फिरोज़पुर में किया जाता
है।
शहीद दिवस कैसे मनाया जाता है
इस
दिन, भारत के
राषट्रपति सहित उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा
मंत्री और सेवा
प्रमुखों के साथ राजघाट
पर बापू की
समाधि पर फूलों
की माला चढ़ाते
हैं। शहीदों को
सम्मान देने के
लिये अंतर-सेवा
टुकड़ी और सैन्य
बलों के जवानों
द्वारा इसके बाद
एक सम्मानीय सलामी
दी जाती है।
इसके
बाद, वहाँ एकत्रित लोग
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और देश
के दूसरे शहीदों
की याद में
2 मिनट का मौन
रखते हैं। उसी
जगह पर उनको
प्यार करने वालों
के द्वारा धार्मिक प्रार्थना और
भजन गाया जाता
है।
इस
दिन कोलकाता के
स्कूलों से बच्चे बापू
का रुप बनाकर
कार्यक्रम में भूमिका निभाते
हैं। शहीद दिवस
मनाने के दौरान
स्कूली विद्यार्थियों द्वारा
बापू के जीवन
से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम किये
जाते हैं।
हालाँकि भारत
में राष्ट्र के
दूसरे शहीदों को
सम्मान देने के
लिये एक से
ज्यादा शहीद दिवस
(राष्ट्रीय स्तर पर इसे
सर्वोदय दिवस भी कहा
जाता है) मनाने
की घोषणा की
गयी है।
13 जुलाई
22 लोगों की
मृत्यु को याद
करने के लिये
भारत के जम्मु
और कश्मीर में
शहीद दिवस के
रुप में 13 जुलाई
को भी मनाया
जाता है। वर्ष
1931 में
13 जुलाई
को कश्मीर के
महाराजा हरि सिंह के
समीप प्रदर्शन के
दौरान रॉयल सैनिकों द्वारा
उनको मार दिया
गया था।
17 नवंबर
लाला
लाजपत राय (पंजाब
के शेर के
नाम से मशहूर)
की पुण्यतिथि को
मनाने के लिये
उड़िसा में शहीद
दिवस के रुप
में 17 नवंबर के
दिन को मनाया
जाता है। वो
ब्रिटिश राज से भारत
की आजादी के
दौरान के एक
महान नेता और
स्वतंत्रता सेनानी थे।
झाँसी
राज्य में (रानी
लक्ष्मीबाई का जन्मदिवस) 19 नवंबर
को भी शहीद
दिवस के रुप
में मनाया जाता
है। ये उन
लोगों को सम्मान
देने के लिये
मनाया जाता है
जिन्होंने वर्ष 1857 की क्रांति के
दौरान अपने जीवन
का बलिदान कर
दिया।
शहीद दिवस से संबंधित कथन
- “क्योंकि हमेशा नहीं समझे जाने के लिये शहीदों, मेरे दोस्त, भुला देने, उपहास बन जाने या इस्तेमाल हो जाने के बीच में किसी एक को चुनना है”।
- वो लोग जो वाकई इतिहास बनाते हैं वो शहीद होते हैं।
- शहीदों का खून चर्च का बीज है।
- इंसान कभी अपना ईश्वरदूत नहीं स्वीकार करता है और उन्हें प्रभावित करता है लेकिन वो अपने शहीदों से प्यार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं जिनके लिये उन्हें प्रताड़ित कर मार दिया जाता है।
- “वो धरती पर शहीदों के रुप में नहीं भेजे जाते; उन्हें बाहर आके चाहत करनी पड़ेगी। ये आपके संस्कृति पर निर्भर करता है जहाँ आप कार्य कर रहे हैं, जहाँ आप रहते हैं। सभी व्यक्तियों की परिस्थितियाँ अलग होती है”।
- ये कहना सच होगा कि शहीद के भरोसा उत्पन्न करने से ज्यादा भरोसा उत्पन्न करता है शहीदों को।
- शहीद शरीर को कम नहीं आँकते, वो उसे शूली पर चढ़ाने के लिये तैयार रहते हैं। अपने विपक्षियों के साथ इसमें वो एक होते हैं।
- शहीदों के बीच में महान अत्याचारियों को रखा जाता है जिनके सिर नहीं काटे जाते।
- हम, जो भूत में जीते हैं। कल हमारे शहीदों के लिये है।
- अपने इतिहास में सभी धर्मों के पास एक काल है जो अत्याचारियों के काल के रुप में का काँपता है और बीते हुये काल पर दृष्टी डालने वाले डर के साथ पीछे देखता है और हर धर्म के पास अपनी खुद की शहीदों की किताब है।
- इन शहीदों की देशभक्ति एक विचार के लिये अपना जीवन कुर्बान कर देती है।
- अत्याचारी मर जाता है और उसका शासन खत्म हो जाता है, शहीद मरता है और उसका शासन शुरु होता है।
- वो शरीर को प्रताड़ित कर सकते हैं, मेरी हड्डियों को तोड़ सकते हैं, मुझे मार भी सकते हैं। इसके बाद उनके पास मेरी लाश होगी लेकिन मेरी आज्ञाकारिता हासिल नहीं होगी।
भारतीय शहीद
महात्मा गाँधी
भगत सिंह
चन्द्रशेखर आजाद
सुखदेव
लाला लाजपत राय
सुभाष चन्द्र बोस
राम प्रसाद बिस्मिल
भगत सिंह
चन्द्रशेखर आजाद
सुखदेव
लाला लाजपत राय
सुभाष चन्द्र बोस
राम प्रसाद बिस्मिल
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