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Showing posts from August 14, 2016

दिल को छुले ऐसी खूबसूरत लाइन-कृपया एक बार अवश्य पढ़े

1. क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं। 2. ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं। 3. कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं, और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं 4. इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म। 5. सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा*. *आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा। 6. अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही 7. इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं 8.जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं 9. दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे.. 10. जब लोग अनपढ़ एव अल्प आय वाले थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे एव धनाढ्य लोग देखे हैं 11. जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए* 12. हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं.. भाग लो (r

रक्षा बंधन

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राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएं उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बांधती थी। इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आएगा। राखी के साथ एक और ऐतिहासिक प्रसंग जुड़ा हुआ है।  मुगल काल के दौर में जब मुगल बादशाह हुमायूँ चितौड़ पर आक्रमण करने बढ़ा तो राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लिया।  हुमायूँ ने इसे स्वीकार करके चितौड़ पर आक्रमण का ख़्याल दिल से निकाल दिया और कालांतर में मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज निभाने के लिए चितौड़ की रक्षा हेतु  बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और मेवाड़ राज्य की रक्षा की। सुभद्राकुमारी चौहान ने शायद इसी का उल्लेख अपनी कविता, 'राखी' में किया है: मैंने पढ़ा, शत्रुओं को भी जब-जब राखी भिजवाई रक्षा करने दौड़ पड़े वे राखी-बन्द शत्रु-भाई॥ सिकंदर और पुरू सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरूवास को राखी बांध कर अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ

Hamara Tiranga

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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर डिजाइन किया गया था। स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने इसके लिए कहा था ‘ यह ना सिर्फ हमारी स्वतंत्रता का ध्वज हैै बल्कि सबकी आजादी का प्रतीक है ’ । भारतीय राष्ट्रीय ध्वज एक हाॅरीजोंटल तिरंगा है , जिसमें बराबर अनुपात में गहरा भगवा रंग सबसे उपर , मध्य में सफेद और गहरा हरा रंग नीचे है। ध्वज की लंबाई चैड़ाई का अनुपात 2:3 है। सफेद पट्टी के बीच में एक गहरे नीले रंग का पहिया है जो धर्म चक्र का प्रतीक है। इस पहिये की 24 तीलियां हैं। ध्वज में भगवा रंग साहस , बलिदान और त्याग का प्रदर्शन करता है। इसका सफेद रंग पवित्रता और सच्चाई तथा हरा रंग विश्वास और उर्वरता का प्रतीक है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास भारतीय राष्ट्रीय ध्वज बहुत महत्वपूर्ण है और यह भारत के लंबे स्वतंत्रता संग्राम का प्रतिनिधित्व करता है। यह भारत के एक स्वतंत्र गणतंत्र होने का प्रतीक है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप का अस्तित्व 22 जुलाई 1947 को हुई संवैधानिक सभा की बैठक मेें आया। इस ध्वज ने 15 अगस्त 1947