कंप्यूटर कीबोर्ड Qwerty फॉर्मेट में क्यों होता है


यदि आप कंप्यूटर का इस्तेमाल करते है और कंप्यूटर के बारे में सारी जानकारी भी होगी क्योकि हमे सारी जानकारी मिल जाती है आपको कंप्यूटर का इस्तेमाल करते बहुत समय हो गया है और अपने कंप्यूटर की सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की आपको जानकारी होनी चाहिए क्योकि आज कंप्यूटर एक जरूरत बन गया है क्योकि लगभग हर जगह इसका प्रयोग होता है क्या आपने अपने कंप्यूटर कीबोर्ड के बारे में सोचा की वो Qwerty फॉर्मेट में क्यों होता है वह ABCD फॉर्मेट में क्यों नही होता है इसकी जानकारी तो सायद आपके पास न हो और अपने कभी सोचा भी नही होगा जब आप टाइपिंग करते हो तो आपको तेज टाइपिंग करते हुए बहुत समय होगया और आप एक्सपर्ट भी हो सकते हो पर आपको इसके बारे में सायद ही पता होगा लेकिन सभी कंप्यूटर और लैपटॉप में कीबोर्ड Qwerty फॉर्मेट में होती है और आपको बता दू की पहले  कीबोर्ड  ABCD फॉर्मेट में होता था बाद में इसको बदला गया तो में आज आपको बताउगा की कंप्यूटर कीबोर्ड  Qwerty फॉर्मेट में क्यों होता है और Qwerty फॉर्मेट में क्यों बदला गया तो देखिये |

ABCD फॉर्मेट वाला कीबोर्ड

आपको बता पहले कीबोर्ड का  ABCD फॉर्मेट में ही था पर इस फोर्मेट के स्टाइल को 17 फ़रवरी, 1890 Christopher Latham Sholes ने बदल दिया जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली टाइपराइटर के आविष्कारक के रूप में दलील दी थी पहले  कीबोर्ड  के ABCD फॉर्मेट में टाइपिंग करने में दिक्कत आती है और स्पीड से टाइपिंग नही होती थी और जो टाइपिंग आज हम के कीबोर्ड फॉर्मेट से कर सकते है इसके लिए कीबोर्ड पर बहुत एक्सपेरिमेंट किये गये पर कोई भी सफल नही हुए .



तो Christopher Latham Sholes ने 14 फ़रवरी, 1819 – 17 फ़रवरी, 1890 तक इस पे काम किया और कीबोर्ड का Qwerty फॉर्मेट में बदल के देखा तो यह सफल हुआ तो सभी कंप्यूटर और लैपटॉप के कीबोर्ड में Qwerty फॉर्मेट आने लगे और आज तक यूज़ हो रहा है और टाइपिंग में बहुत आसान हो गयी और स्पीड भी हो गयी


QWERTY फॉर्मेट वाला कीबोर्ड

टाइपराइटर हेनरी मिल  के द्वारा 1714  में आविष्कार किया गया था और पहला Qwerty फॉर्मेट टाइपराइटर भी Christopher Latham Sholes ने बनाया था संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली टाइपराइटर के आविष्कारक के रूप में दलील दी क्योकि पर पहले के टाइपराइटर में लिखना बहुत मुस्किल होता था क्योकि उनमे बटन के बिच में स्पेस कम होते थे  और Christopher Latham Sholes ने टाइपराइटर में बदलाव करने की सोची और कुछ बदलाव किये सबसे पहले उसके फॉर्मेट पे कम किया और एक अच्छा टाइपराइटर बनाया और उसमे बदलाव करते ही रहे .
और  Christopher Latham Sholes ने टाइपराइटर में बदलाव सफल रहने के बाद उन्होंने कीबोर्ड को  Qwerty फॉर्मेट में बदलने की सोची और कुछ एक्सपेरिमेंट किये और आखिर में कामयाबी मिली जिस से आज भी हम यूज़ कर रहे  है Qwerty फॉर्मेट वाला कीबोर्ड आज मार्किट में बहुत ही अच्छे अच्छे Qwerty फॉर्मेट वाले  कीबोर्ड आये हुए है

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Shivang Shekhar
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