अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
योग के 28 से अधिक फायदे जानकर आप मस्त-मलंग हो जाएंगे
!!योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:!! अर्थात- योग से समस्त तरह के मनोरोगों, चित्तवृत्तियों का निवारण होता है- चित्त अर्थात बुद्धि, अहंकार और मन नामक वृत्ति के क्रियाकलापों से बनने वाला अंत:करण योग से शुद्ध, पवित्र हो सकता है। योग की खाशियत-विशेषता.… नकारात्मकता से लबालब लोग, जिनके मस्तिष्क में द्वंद्व है, वह हमेशा चिंता, भय और संशय में ही जीते हैं। जिनको जीवन ज्वलनशील, जलनयुक्त तथा एक संघर्ष ही नजर आता है, आनंद नहीं! ऐसे अवसादग्रस्त टूटे आदमी को योग अंदर से जोड़कर आत्मविश्वास से भर देता है। जीवन में अमन-चैन लाता है-योग…. खुशी के लिए हर जीव का मन वन में जाने को आतुर रहता है। क्योंकि सच्चा जीवन-वन, एकान्त, योग-ध्यान और भगवान की शरण में है। यही योग की खासियत है। योग से बनेंगे योग्य और होंगे
योग मिटाये-रोग, यदि रोज करें लोग…. 21 जून अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस है
तन-मन को स्वस्थ्य बनाता है-योग....
【१】योग द्वारा अपने जीवन को सघन वन बनाकर प्रकृति से जुड़ सकते हो।
【२】योग हमारे बिखरे मन को जोड़ता है। हमें मरना नहीं जीना है, योग हमे सिखाता है।
【३】योग व्यक्ति को स्वर्ग में जाकर मुक्ति नहीं देता, अपितु स्वर्ग को मनुष्य के अंदर उतार देता है।
【४】योग तर्कसंगत और सकरात्मक सोच पैदा करता है।
【५】योग असत्य से सत्य की ओर ले जाने हेतु प्रेरित करता है।
【६】तन-मन-मस्तिष्क, अन्तर्मन, जीवन और शरीर का संतुलित करता है योग।
【७】योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। पहला है- जोड़ और दूसरा है समाधि।
【८】जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधिस्थ नहीं हो सकते।
【८】योग से अनेक रोगों का नाश होकर तन-मन, अन्तर्मन निखरता है।
【१०】योग शरीर के साथ-साथ आंतरिक मन का शर्तिया इलाज है।
【११】योग से वियोग का भय-भ्रम मिट जाता है।
【१२】योग अकेलापन, तनाव, डिप्रेशन, चिन्ता आदि जैसे धीमे जहर को योग उत्पन्न नहीं होने देता।
【१३】अनिद्रा, मोटापा, याददाश्त की कमी, उच्च रक्तचाप यानि बीपी हाई का जानी दुश्मन है-योग
【१४】योग से नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है।
【१५】योगासन से फेफड़ों में जमा कफ, मल एवं संक्रमण पिघलकर बाहर निकल जाता है।
【१६】योग द्वारा मन में अमन आता है। मन मलिन एवं अशांत नहीं होता।
【१७】दमा-अस्थमा, श्वांसरोग जड़ से मिट जाता है।
【१८】पाचक ग्रन्थि यानिपेन्क्रियाज क्रियाशील रहती है।
【१९】मेटाबॉलिज्म, पाचनतंत्र मजबूत होता है।
【२०】योग वात-पित्त-कफ सन्तुलित करता है।
【२१】योग दाएं-बाएं मस्तिष्क नाड़ियों में प्राणवायु का आवागमन करके सोच-विचारों में तालमेल बिठाता है।
【२२】योग सदैव तनाव मुक्त रखता है।
【२३】योग करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्युनिटी में वृद्धि होती है।
【२४】योग एक प्रायोगिक विज्ञान है, जो पूजा-अर्चना, धर्म, आस्था, टोना-टोटका, तन्त्र-मन्त्र, उच्चाटन और अंधविश्वास से परे है।
【२५】योग एक शरीर स्वास्थ्य विज्ञान है।
【२६】योग जीवन जीने की कला तथा सम्पूर्ण प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है।
【२७】धर्म लोगों को खूँटे से बाँधता है और योग सभी झंझटों से मुक्ति का मार्ग बताता है।
【२८】जैसे पर्वतों में हिमालय श्रेष्ठ है, वैसे ही समस्त दर्शनों, विधियों, नीतियों, नियमों, धर्मों और व्यवस्थाओं में योग श्रेष्ठ है।
किस रोग में कौन से योग, योग्य है....
★~ रोज करें सूर्य नमस्कार होंगे १० चमत्कार…
(१) तन-मन ऊर्जा से भर जाता है।
(२) तनाव, थकान, निगेटिव विचार नहीं होते।
(३) अवसादग्रस्त लोगों के लिए कारगर।
(४) बालों का झड़ना, टूटना बन्द होता है।
(५) त्वचा मुलायम, चमकदार होने लगती है।
(६) हड्डियां को मजबूत करने में सहायक।
(७) अच्छी नींद आने लगती है।
(८) काम करने में मन लगने लगता है।
(९) चिड़चिड़ापन, क्रोध पागलपन कम होता है।
(१०) जीवन में जोश, जागरूकता, उमंग बढ़ती है।
★~ अनुलोम-विलोम करने के ‘7’ फायदे:-
{1} ह्रदय को शक्तिशाली बनाता है।
{2} शरीर की सभी कोशिकाओं में रक्त का
{3} संचार यानि ब्लड सर्कुलेशन सुचारू करे।
{4} रस-रक्त नाड़ियों की शुद्धि करने में सहायक।
{5} मस्तिष्क को मस्त-मलंग बनाता है।
{6} योग कब्ज को उत्पन्न नहीं होने देता।
{7} थायराइड, अम्लपित्त रोग नाशक।
★~ धनुरासन योगा के १४ लाभ …
१: पेशाब, पथरी की परेशानी नहीं होती।
२: शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, शुक्राणु की कमी जैसे रोग दूर होते हैं।
३: मधुमेह/डाइबिटीज की तकलीफ मिटती है।
४: महिलाओं का मासिक धर्म नियमित रहता है।
५: श्वेत प्रदर, सफेद पानी, pcod जैसी समस्याएं उत्पन्न नहीं होती।
६: बांझपन की शिकायत दूर होने लगती है।
७: धनुरासन से चेहरे पर निखार आता है।
८: मानसिक विकार नष्ट करता है।
९: वजन, फेट, मोटापा कम होता है।
१०: रीढ़ की हड्डी स्ट्रांग होने लगती है।
११: गले, हाथ-पैरों की सूजन दूर होती है।
१२: थायराइड में लाभकारी।
१३ भूख को सन्तुलित करता है।
१४: पोतों का पानी सुख जाता है।
★~ लाभकारी भस्त्रिका आसन पांच फायदे… इस योग से देह में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में बाहर निकलती है।
@! अस्थमा रोगी को सांस लेने में राहत दे।
@!! फेफड़ों में जमा कफ पिघलकर बाहर आने लगता है।
@!!! गले की सूजन, भारीपन दूर होता है।
@!v पेट की चर्बी कम करने में प्रभावी।
@V पीठ का दर्द दूर करे। मत्स्यासन योगा मिटाता है चार विकार….
{!} श्वांस नलिकाओं को शुद्ध करें।
{!!} दमा-अस्थमा बीमारी का विनाशक।
{!!!} कब्जियत नहीं होने देता।
{!v} मेरुदंड, कमर जांघों की मांसपेशियों को शक्ति देकर मजबूत बनाता है।
कन्धरासन 6 क्लेशों में कारगर…
[१] श्वांस प्रणाली, श्वसनक्रिया, श्वसनतंत्र को क्रियाशील करने में सहायक।
[२] रक्तसंचार सुचारू करे।
[३] क्षीण रक्तनाड़ियाँ की मरम्मत करता है।
[४] इम्यूनिटी तेजी से बढ़ाता है।
[५] तन में ऊर्जा का स्तर अर्थात एनर्जी लेबल तीव्रगति से बढ़ाता है।
[६] ह्रदय नाड़ी के ब्लॉकेज खोलता है।
उज्जायी प्राणायाम से 7 आराम….
1~ एकाग्रता में चमत्कारी वृद्धि
2~ स्मरण शक्ति तेज होती है।
3~ याददाश्त में बढोत्तरी होने लगती है।
4~ मानसिक विकार, चिन्ता, तनाव, भय-भ्रम, डर, दवाब, निगेटिव विचारों से मुक्ति मिलती है।
5~ मन शांत चित्त और प्रसन्न रहता है।
6~ सांस नली, गला साफ रहता है।
7~ स्वर तन्त्र, थायराइड ठीक करता है।
सत्यम-शिवम-सुंदरम…. जैसे बाहरी विज्ञान दुनिया में भौतिक, रसायनिक विज्ञान जरूरी और सर्वोपरि है, वैसे ही हमारे भीतरी विज्ञान की दुनिया के प्राचीन आध्यत्मिक वैज्ञानिक थे-महर्षि पतंजलि। पतंजलि ने अपने अनुभवों से योग की खोज करके बताया कि-कैसे हम सत्य के मार्ग को पकड़कर स्वयं एवं ईश्वर तक पहुंचकर मोक्ष पा सकते हैं। महर्षि पतञ्जलि ने स्वयं को स्वस्थ्य रखने हेतु आठ सीढ़ियों का अविष्कार किया जिसे अष्टांग योग के नाम से प्रसिद्धि मिली। योग से आत्महत्या रुक सकती है। तनाव मिट सकता है
हो सकता कि इस लेख से प्रभावित होकर आप योग को अपनी दिनचर्या में ढाल लें... सर्वप्रथम महायोगी महर्षि पतञ्जलि, गुरुद्रोणाचार्य, गुरुगोविंद सिंह, गुरुलाहिड़ी, गुरुगोरखनाथ, महावतार बाबा, सदगुरु बाबा विश्वनाथ यतीजी, गुरु करपात्रीजी, देवरहा बाबा आदि सन्सार के सभी योग-योग्यगुरुओं को सादर नमन-
मनीषी की लोकयात्रा नामक पुस्तक में सूर्य उपासक परमहंस स्वामी विशुद्दानंद के मुताबिक– दुनिया के सारे धर्म इस काल-कवलित चित्त पर ही कब्जा करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने तरह-तरह के भटकाने वाले नियम, क्रिया कांड, ज्योतिष, ग्रह-नक्षत्र और ईश्वर के नाम पर भय-शंका उत्पन्न कर लोगों को अपने-अपने धर्म से जकड़े रखा है। महर्षि पतंजलि कहते हैं कि- इस विचलित चित्त को योग साधना से ठीक किया जा सकता है। आष्टांग योग का अर्थ जाने- योग की समस्त विद्याओं को आठ अंगों में श्रेणीबद्ध कर दिया है। यह आठ अंग हैं-
【१】 यम
【२】 नियम
【३】आसन
【४】प्राणायाम
【५】 प्रत्याहार
【६】 धारणा
【७】ध्यान
【८】समाधि।
उपरोक्त आठ अंगों के उपअंग भी हैं।
आसन, प्राणायाम और ध्यान यह तीनों
महत्वपूर्ण और ज्यादा चलन में भी है।
योग बहुत बड़ा विषय है।
ज्योतिष में योग....
ज्योतिष शास्त्रों में ही लगभग 216 प्रकार के योगों का वर्णन है... जैसे-गजकेशरी योग, धन योग, अनफा, सुनफा, बुधादित्य योग आदि आध्यत्म मार्ग में भी अथाह योग हैं। जैसे-ज्ञानयोग, भक्तियोग, धर्मयोग, कर्मयोग और अघोरियों का हठयोग इन सबमें योग शब्द जुड़ा हुआ है। लेकिन पतंजलि का योग राजयोग कहलाता है। खुद को खुदा बना लो-स्वयं को बदलो …. ईश्वर को पाना, सत्य को जानना, सिद्धियाँ प्राप्त करना हैं या कि सिर्फ स्वस्थ रहना है, तो योग का श्रीगणेश शरीर के तल से ही करना होगा। श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकानुसार- व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं! आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्!! इस संस्कृत श्लोक-मन्त्र का अर्थ है- व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है। स्वस्थ्य साधक सब कार्य सिद्ध कर लेता है। योगदर्शन ग्रन्थ के अनुसार- देह को दर्द, कष्ट देने से मन बदलेगा। मन के बदलने से बुद्धि बदलेगी। बुद्धि बदलेगी तो आत्मा स्वत: ही आत्मबलसे भर जाएगी। स्वस्थ्य आत्मचित्त साधक ही ध्यान में भगवान के दर्शन पा सकता है। योग का सारा जोर पहले पायदान पर ही है। आप सिर्फ एक सीढ़ी चढ़ो, तो दूसरी के लिए जोर नहीं लगाना पड़ेगा। योग का बस आरम्भ करो। जान लो कि योग उस सर्वमान्य सत्ता शिव के मानसरोवर की ओर क्रमश: बढ़ने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। आप यदि चल पड़े हैं, तो कैलास पर्वत पर पहुँच ही जाएँगे। महादेव, भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए माथे पर चन्दन का त्रिपुण्ड लगाएविश्वास तथा संदेह के बीच की अवस्था जिसे भय-भ्रम, संशय कहते हैं, इन सबके बहुत ही विरुद्ध है-योग। अतः योग द्वारा खुद को जानने की क्षमता का उपयोग करो। ध्यान-योग से हम वह सब देख-सुन सकते हैं। अपनी आंख बन्दकर पूरा का पूरा ब्रह्माण्ड, सूर्य, चन्द्र सभी नक्षत्रों को
हमारी अर्जीदेखा जा सकता है, जो सामान्य तौर पर
नहीं दिखता।
हमारे त्रिकलद्रष्टा ऋषियों ने ध्यान-योग
द्वारा यह दूरदृष्टि की क्षमता पाई थी।
कानों से अनाहत की गूंज सुन सकते हैं,
जो किसी यंत्र द्वारा सुन पाना असम्भव है।
अनाहत अर्थात वह ध्वनि, जो किसी
संघात से नहीं जन्मी है, जिसे साधक
!!ॐ!! कहते हैं। यही ॐकार अनाहत
शब्द या गूंज मुस्लिम धर्म में आमीन है,
वही ओमीन है। सिखधर्म का वाहेगुरु है। है कि– अंतत: योग के माध्यम से अपनी इंद्रियों को बलिष्ठता प्रदान करो। शरीर को गति-बोधक अर्थात डायनामिक बना सकते हो। अब आपकी मर्जी इस मन को स्वयं का गुलाम बनाओ अथवा तन-मन, अन्तर्मन एवं देह को अपना दास बना लो। गोटी आपके हाथ है। यह सब कुछ करना बहुत आसान है- दो दुनी चार और 4 दूनी 8 जैसा। योग कहता है कि शरीर और मन का दमन नहीं, इसका रूपांतर करना है। परिवर्तन से जीवन में देह और मन में परस्परता बढ़ेगी, बदलाव आएगा। गंदी आदतों से मुक्ति दिलाएगा योग- कुछ आदमियों से गंदी आदतें छूट नहीं पातीं यदि ऐसा किसी को लगे कि मैं अपनी आदतों को नहीं छोड़ने में असमर्थ हूँ, तो तुरन्त योगा जैसी आदत उसमें जोड़ लो और विश्वास, सङ्कल्प से करते रहो। आप न चाहने पर तब भी शुभप्रभाव सामने आएँगे। यही अमृतमपत्रिका परिवार की शुभकामनाएं हैं। दुनिया का दर्द- दुनिया के कबीले में हर रोज कुछ नया आजमाते है-लोग जिंदगी का फलसफा… हम ही बनाते हैं लोहे को तोड़कर ताला, और बाद में उसी लोहे से चाबियां बनाते हैं। रोटी के लिए कुछ भी कर सकते हैं लोग, तालीम-ए-रिवाज सभी को उल्टा सिखाते हैं। कभी घर उजाड़कर विधवा बना दे-संगदिल, तो कभी सुहागिनों के लिए चूड़ियां बनाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस | |
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![]() चण्डीगढ़ में 2016 में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस | |
आधिकारिक नाम | अन्तररो योग दिवस |
अन्य नाम | योग दिवस, विश्व योग दिवस |
अनुयायी | विश्वभर में |
प्रकार | संयुक्त राष्ट्र |
उत्सव | योग, ध्यान, सामूहिक मथंन, विचार-विमर्श, सांस्कृतिक आयोजन |
तिथि | 21 जून |
आवृत्ति | वार्षिक |
First time | 21 जून 2015 |
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि:
"योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।"
जिसके बाद 21 जून को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमन्त्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अन्दर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।[1]
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